Monday, December 26, 2011

दमदार अदम को सलाम...







खिले हैं फूल कटी छातियों की धरती पर...फिर मेरे गीत में मासूमियत कहां होगी...आप आएं तो कभी गांव की चौपालों में...मैं रहूं या न रहूं भूख मेजबां होगी...भूख और ग़रीबी के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले मशहूर शायर अदम गोंडवी नहीं रहे...अदम ने लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांस ली...64 साल के अदम क्रॉनिक लिवर डिजीज से पीड़ित थे....
जो घर के ठंडे चूल्हे पर फकत खाली पतीली है...
बताओ कैसे लिख दूं...धूप फागुन की नशीली है...
मुशायरों में सिकुड़ा कुर्ता-धोती और गले में सफ़ेद गमछा डाले अदम जब गंवई अंदाज़ में पहुंचते थे....तो लोग बहुत ध्यान नहीं देते थे...लेकिन जब वो ग़ज़ल कविता सुनाते तो लोग हैरान रह जाते थे...
जन्म- 22अक्टूबर 1947
जन्म स्थान- आटा परसपुर, गोंडा (उत्तर प्रदेश)
असली नाम- रामनाथ सिंह
आज़ाद हिंदुस्तान और अदम की उम्र एक है...साहित्य की दुनिया में अदम गोंडवी के नाम से मशहूर रामनाथ सिंह का जन्म यूपी के गोंडा ज़िले में हुआ था...अदम ने हमेशा समाज के दबे-कुचले और कमज़ोर तबके की आवाज़ उठाई...'धरती की सतह पर' और 'समय से मुठभेड़' जैसे ग़ज़ल संग्रह से उन्होंने ख़ूब नाम कमाया...मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें 1998 में दुष्यंत कुमार पुरस्कार से नवाज़ा...अदम ने अपनी क़लम के ज़रिए हमेशा समाज की तल्ख सच्चाई को सामने रखा...
जो डलहौजी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे...
कमीशन दो तो हिंदुस्तान को नीलाम कर देंगे...
अदम उस पंक्ति के शायर हैं...जिनकी शायरी आपको परेशान, बेचैन और विचलित करती है...और सुनने वालों के सामने सवाल बनकर खड़ी हो जाती है...
जो उलझ कर रह गई है फ़ाइलों के जाल में...
गांव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में...
अदम सियासी हालात को ग़ज़ल के ताने-बाने पर चढ़ाकर अनुभव का हिस्सा बना देते हैं...
काजू भुनी प्लेट में व्हिस्की गिलास में...
उतरा है रामराज विधायक निवास में...
आज़ादी का वो जश्न मनाएं तो किस तरह...
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में...
जितनी मानवीय संवेदना और दर्द अदम की शायरी में है..उससे कहीं ज़्यादा संवेदनहीनता उनके साथ बरती गई...मरते दम तक हिंदी संस्थान और उर्दू अकादमी ने उनकी कोई सुध नहीं ली...अदम के सवाल अब भी बने हुए हैं....और उनकी मौत संवेदनहीन सिस्टम पर एक बार फिर सवाल खड़े कर गई...फटे कपड़ों में तन ढांके गुज़रता हो जिधर कोई...समझ लेना वो पगडंडी अदम के गांव जाती है...जनकवि अदम गोंडवी को भावभीनी श्रद्धांजलि...

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