Saturday, September 5, 2015

अतीत का आईना...

मान्यताओं के मुताबिक शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक हैदराबाद के पास करनूल ज़िले में स्थित है...उत्तर में ज़्यादातर लोग इसे मल्लिकार्जुन के नाम से जानते हैं, लेकिन अगर आपने हैदराबाद में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग जाने का रास्ता पूछा, तो आपको शायद ही कोई बता पाए...आंध्र प्रदेश में महादेव की ये स्थली श्रीशैलम् के नाम से मशहूर है...हैदराबाद से तक़रीबन 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्रीशैलम् बेहद ख़ूबसूरत और प्राकृतिक सौंदर्य की विलक्षण अनुभूति का केंद्र है...हैदराबाद से यहां पहुंचने में क़रीब 5 घंटे लगते हैं...आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का दौरा करने के बाद शिवानंद लहरी की रचना की...हैदराबाद से श्रीशैलम् तक का सफ़र अविस्मरणीय रोमांच से भरपूर है...नल्ला-मल्ला जंगल को पार करते हुए यहां का रास्ता तय किया जाता है...इसके बाद जगह-जगह आपको कृष्णा नदी घाटी का विहंगम नज़ारा देखने को मिलेगा...श्रीशैलम् में कृष्णा नदी को पातालगंगा के नाम से जाना जाता है...ऐसे ही एक रोमांचक सफ़र पर मैं भी निकला था...श्रीशैलम् जाने का दो बार मौक़ा मिला...संयोग की बात ये रही कि दोनों बार सावन महीने में भोले बाबा की चौखट पर पहुंचा...श्रीशैलम् की यात्रा में एक बड़ा आकर्षण का केंद्र श्रीशैलम् पावर प्रोजेक्ट भी है...पूरे सफ़र में आपको प्रकृति के ऐसे मनोरम नज़ारे दिखेंगे, जो आप भुला नहीं पाएंगे...उत्तर का कैलाश तो नहीं देखा, लेकिन दक्षिण के कैलाश यानी श्रीशैलम् को देखा और महसूस किया...वाकई ये ऐसी अनोखी जगह है, जहां एक बार पहुंचने के बाद आप बार-बार जाने की हसरत रखेंगे...

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