काजू भुनी प्लेट में व्हिस्की गिलास में...
उतरा है रामराज विधायक निवास में...
पक्के समाजवादी हैं चाहे तस्कर हों या डकैत...
इतना असर है खादी के उजले लिबास में...
आज़ादी का जश्न मनाएं तो किस तरह...
जो फुटपाथ पर आ गए घर की तलाश में...
पैसे से आप जो चाहे खरीद लें...
संसद यहां की बदल गई है नखास में...
जनता के पास एक ही चारा है बगावत...
ये बात कह रहा हूं मैं पूरे होशो-हवास में...
अदम गोंडवी (जनकवि)
3 comments:
सही कहा हुजूर।
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तस्लीम
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
बहुत सुंदर रचना है अदम गोंडवी साहब की।
word verification हटा ही दें तो अच्छा है।
बहुत बढिया ...
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