सितारों से आगे जहां और भी हैं...
अभी इश्क में इम्तिहां और भी हैं...
तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएं...
यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं...
क़ायनात ना कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर...
चमन और भी आशियां और भी हैं...
अगर खो गया एक नश-ए-मन तो क्या ग़म...
मकामात-ए-आह-ओ-फुगां और भी हैं...
तू सही है परवाज़ है काम तेरा...
तेरे सामने आसमां और भी हैं...
इसी रोज़-ओ-शब में उलझकर ना रह जा...
कि तेरे ज़मीन-ओ-मकान और भी हैं...
गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में...
यहां अब मेरे राज़दां और भी हैं...
1 comment:
बहुत ही अच्छा,ब्लॉगिग की गति को तेज कीजिए,ताकि कुछ नई चीज पढ़ने को मिले,और हां आप अपनी जीवनी को भी ब्लॉग पर डालिए।
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