Friday, April 16, 2010

सितारों से आगे जहां और भी हैं...

सितारों से आगे जहां और भी हैं...


अभी इश्क में इम्तिहां और भी हैं...

तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएं...

यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं...

क़ायनात ना कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर...

चमन और भी आशियां और भी हैं...

अगर खो गया एक नश-ए-मन तो क्या ग़म...

मकामात-ए-आह-ओ-फुगां और भी हैं...

तू सही है परवाज़ है काम तेरा...

तेरे सामने आसमां और भी हैं...

इसी रोज़-ओ-शब में उलझकर ना रह जा...

कि तेरे ज़मीन-ओ-मकान और भी हैं...

गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में...

यहां अब मेरे राज़दां और भी हैं...

1 comment:

rnjt_rana said...

बहुत ही अच्छा,ब्लॉगिग की गति को तेज कीजिए,ताकि कुछ नई चीज पढ़ने को मिले,और हां आप अपनी जीवनी को भी ब्लॉग पर डालिए।